बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) हमारे देश के बहुत ही प्रसिद्द योग गुरु हैं। बाबा रामदेव न सिर्फ भारत में ही बल्कि विदेशो में भी अपनी योग शिक्षा को लेकर बहुत प्रसिद्द हैं। बाबा रामदेव ने अपनी म्हणत और अथक प्रयासों के बल पर भारतीय योग शिक्षा एवं योग विद्या को भारत के साथ ही पूरे विश्व के कोने कोने तक पहुँचाया है।
बाबा रामदेव का जन्म 25 दिसंबर सन 1965 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के हजारीबाग गाँव में एक किसान परिवार में हुआ। इनके पिता श्री रामनिवास यादव एवं माता का नाम श्रीमती गुलाबो देवी है। इनके पिता का मुख्य व्यवसाय खेती था। रामदेव अपने माता-पिता की 4 सन्तानो में दूसरे नंबर के थे। इनका बचपन का या कहें कि इनके माता पिता द्वारा इनका नाम रामकिशन रखा गया था। इनके सबसे बड़े भाई गुरुदत्त, दूसरे रामकिशन (रामदेव) बहन ऋतम्भरा और सबसे छोटे और चौथे नंबर पर थे इनके भाई रामभरत जो अब इनका बिज़नेस भी देखते हैं।
बाबा राम देव जी की प्रारंभिक शिक्षा पास के ही गाँव के सरकारी विद्यालय में हुई। आठवीं तक की शिक्षा इन्होने यहीं गाँव में रहकर ही ग्रहण की। पढाई के साथ साथ इनके पिता इन्हे इनके बड़े भाई के साथ ही कुश्ती सीखने के लिए अखाड़े में भी भेजते थे और ये अहदे में ही अपने बड़े भाई के साथ कुश्ती के दांव आजमाया करते थे। इनके पिताजी का मानना था की अगर खली समय में इधर उधर जायेंगे तो बच्चे बिगड़ न जाएँ इसलिए विद्यालय से आने के बाद इनको और इनके बड़े भाई को अखाड़े में भेज दिया करते थे।
बाबा रामदेव जब अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने पास के ही सरकारी विद्यालय में जाते थे तो वहां पर इनके एक अध्यापक बीड़ी पीते थे जो कि रामकिशन (बाबा रामदेव) को अच्छा नहीं लगता था। जब इनके अध्यापक ने बीड़ी छोड़ने की बात बहुत बार कहने पर नहीं मानी तो इन्होने उनके खिलाफ विद्यालय में अनशन शुरू कर दिया जिसको देखकर इनके अध्यापक महोदय बीड़ी छोड़ने के लिए तैयार हो गए l
इनकी माता जी ने बताया था कि जब ये छोटे थे तो इनके कमरे के अंदर सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह की तस्वीर लगी हुई थी और ये उनको बहुत देर तक देखते रहते थे और कहा करते थे की बड़ा होकर मैं भी इनके जैसा बनूँगा और अपने देश के लिए इनकी ही तरह मैं भी कुछ करूँगा।
आठवीं के बाद की शिक्षा के लिए इनको गुरुकुल भेज दिया गया। गुरुकुल में इन्होने आचार्य बलदेव जी एवं करणवीर जी से शिक्षा ग्रहण की। गुरुकुल में जाने के डेढ़ वर्ष में ही इन्होने वेदों की शिक्षा पूर्ण कर ली। यहीं पर शिक्षा ग्रहण करते हुए इन्हे लकवा (Paralysis) मार गया जिसकी वजह से चलने फिरने में भी असमर्थ हो गए थे। गुरु करणवीर जी से इन्होने गुरुकुल में ही योग की शिक्षा प्राप्त की एवं अपने लकवे (Paralysis) का भी इलाज कराया और ठीक भी हो गए। योग की इस ताकत को देख कर ये योग से बहुत प्रभावित हुए और इन्होने योग को ही अपना जीवन बनाने का निश्चय किया।
योग से प्रभावित होकर अपना जीवन योग के नाम करने का निश्चय करने के बाद इन्होने संन्यास लेने का भी निर्णय कर लिया और स्वामी शंकर देव जी दीक्षा ग्रहण की और ब्रह्मचर्य धारण कर लिया रामकिशन से स्वामी रामदेव बन गए। गुरुकुल से आकर ये अपने गाँव में ही लोगो को योग सिखाने लगे और कुछ समय बाद गंगोत्री चले गए l
गंगोत्री से ये हरिद्वार आ गए और यहाँ पर लोगो को योगा सीखने लगे साथ ही इन्होने आयुर्वैदिक दवाइयों के बारे जानकारी ली और आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाने लगे।
योग के प्रचार के साथ साथ बाबा रामदेव आयुर्वेद का भी प्रचार करते थे। शुरूआती दिनों में बाबा रामदेव ने अपनी दवाइया साइकिल से जा जाकर भी लोगों तक पहुंचाई। बाबा रामदेव अंग्रेजी दवाई एवं चिकित्सा पद्धति के बिलकुल भी पक्षधर नहीं थे। सन 1993 से लेकर कई सालो तक इन्होने अपनी आयुर्वेद का प्रचार करने के लिए साइकिल से ही दवाइयों का वितरण किया
हरिद्वार के दयाल बाग आश्रम में ही बाबा रामदेव योगा सिखाते थे एवं योग द्वारा लोगों की बिमारियों का इलाज करते थे। बाबा यहीं से योगा, स्वदेशी, और आयुर्वेद का प्रचार करते रहे। बाबा ने बहुत लोगो की असाध्य बिमारियों का इलाज किया जिससे बाबा को धीरे धीरे थोड़ी प्रसिद्धि भी मिलने लगी l
2003 में टी वी पर प्रसारण शुरू हुआ
योग, स्वदेशी और आयुर्वेद के प्रचार केक्रम में बाबा द्वारा काफी लोगो की गंभीर बीमारियों को ठीक किये जाने की वजह से बाबा को प्रसिद्धि भी मिलने लगी एवं लोगो को इनके द्वारा सिखाये जाने वाले योग की अपने जीवन में जरुरत मह्सूस होने लगी तब बाबा एवं उनके कुछ जानकर लोगों के प्रयास से आस्था टी वी चैनल पर बाबा रामदेव का योग प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु किया गया जिसने बाबा को रातों रात पूरे देश में प्रसिद्द कर दिया। जल्दी ही आस्था टी वी के साथ और भी दूसरे चैनलों पर बाबा रामदेव के योगा कार्यक्रम दिखाए जाने लगे और बाबा धीरे धीरे देश के साथ ही विदेशों में भी प्रसिद्धि पाने लगे। और कुछ समय में बाबा ने योग को पूरे विश्व में प्रसिद्धि दिला दी।
सन 2006 में स्वामी रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत की। इसका मुख्यालय हरिद्वार में ही बनाया गया और यही पर इसके अधिकतर उत्पादों का उत्पादन किया जाने लगा। आज पतंजलि आयुर्वेद भारत की सबसे बड़ी उपभोक्ता के लिए पैक की गई वस्तुएं (consumer packaged goods) बनाने वाली कम्पनीज में से एक है। पतंजलि आयुर्वेद के साथ ही बाबा रामदेव ने दिव्य फार्मेसी की भी शुरुआत की थी।
बाबा रामदेव शुरू से ही स्वदेशी वस्तुओ का समर्थन एवं प्रचार करते आये हैं। बाबा ने कई बार इंटरव्यू में कहा है की सभी चीजें सिर्फ स्वदेशी ही प्रयोग करता हूँ। उन्होंने बताया कि मैं गाडी भी स्वदेशी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा की प्रयोग करता हूँ। बाबा रामदेव महिंद्रा एंड महिंद्रा की स्कार्पियो गाडी स्वयं के चलने के लिए प्रयोग करते हैं।
पतंजलि के स्वदेशी उत्पाद बनाकर बाबा ने लगभग 13 बड़ी विदेशी कंपनियों के भारतीय बाजार से कब्जे को हटाकर आज स्वयं की स्वदेशी ब्रांड पतंजलि का बाजार पर राज है। जो विदेशी कम्पनिआ कभी भारतीय बाजार पर एक छत्र राज करती थीं पतंजलि ने आज उन सबको बहुत पीछे छोड़ दिया है l
2006 में शुरू की गयी पतंजलि का टर्नओवर सन 2010 में 185 करोड़ रुपये पहुंचा गया था जो कि सन 2017-18 आते आते 11000 करोड़ रुपये पर आ चुका था।
अन्ना हजारे द्वारा किये गए जनलोकपाल आंदोलन से बाबा रामदेव भी जुड़े और उन्होंने अन्ना हजारे को पूरा समर्थन दिया और उनके आन्दोलनमे साथ रहे। जनलोकपाल आंदोलन के सफल होने और सरकार द्वारा जनलोकपाल की मांग स्वीकार किये जाने के बाद बाबा रामदेव ने सरकार से कालेधन को लेकर कदम उठाने और भारत के विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने की मांग की गयी।
बाबा रामदेव ने सन 2011 में सरकार को अल्टीमेटम दिया था की यदि कालेधन की वापसी पर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो 4 जून सन 2011 को मैं कालेधन की वापस के लिए सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठ जाऊंगा। उस समय देश में कांग्रेस पार्टी की मनमोहन सिंह सरकार थी। सरकार ने कालेधन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जिसके फलस्वरूप 4 जून 2011 को बाबा रामदेव अपने हजारों समर्थकों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गए। 4 और 5 जून 2011 की रात को ही सरकार ने दिल्ली पुलिस के द्वारा बाबा के शिविर में धावा बोलने के लिए बड़ी संख्या में भरी पुलिस बल को भेज दिया। पुलिस ने वहां रात में सोये हुए लोगों पर ही धावा बोल दिया एवं लोगो की बर्बरतापूर्ण पिटाई शुरू कर दी गयी। कई बार बात करने के बाद भी जब पुलिस अधिकारी बात मैंने के लिए तैयार नहीं हुए तो बाबा को वहां से अपनी जान बचने के लिए महिला की वेशभूषा में भागना पड़ा। 24 घंटे तक बाबा का कोई पता नहीं चला सभी न्यूज़ चैनल्स और बाबा के समर्थकों के बीच अफरातफरी मचती रही। २४ घंटे बाद बाबा रामदेव ने उत्तराखंड के देहरादून से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश को उस रात की सारी सच्चाई बताई।
फिर शुरू किया आंदोलन
इस घटना के कुछ दिनों बाद बाबा रामदेव ने अपना आंदोलन फिर शुरू किया। कई दिनों तक आमरण अनशन करने के कारण बाबा की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी तब वहां फिर श्री श्री रविशंकर आये उन्होंने बाबा को समझाया कि इस आंदोलन के लिए आपका जीवित रहना बहुत जरुरी है अन्यथा यह आंदोलन बीच में ही रह जायेगा, इस तरह उन्होंने समझा कर बाबा का अनशन तुड़वाया l
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बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के हजारीबाग गाँव में एक किसान परिवार में हुआ।
बाबा रामदेव का जन्म 25 दिसंबर सन 1965 को हुआ था l
पतंजलि योग पीठ हरिद्वार में स्थित है।
पतंजलि योग पीठ में आयुर्वेदिक पद्धति से लोगो का इलाज किया जाता है।
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