जानिए बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) और धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) के बारे में, उनका बचपन, शिक्षा, परिवार, सिद्धि, आय, संपत्ति आदि के बारे में सबकुछ
बागेश्वर धाम और वहां के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के बारे में आपने सुना तो होगा। आजकल उनको लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। उनके बारे में छिड़ा विवाद काफी वायरल भी हो रहा है। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के समर्थक और उनके भक्त केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी है। सोशल मीडिया पर भी उनके समर्थक एक बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का परिवार उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखता है। कई पीढ़ी पहले इनका परिवार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ममखोर गाँव में रहा करता था। वहां से इनके पूर्वज मध्य प्रदेश के सतना जिले के पाली गाँव आया फिर 5 पीढ़ी पहले कोंडा गाँव आया और 4 पीढ़ी से इनका परिवार छतरपुर जिले के गढ़ा गाँव में रह रहा है। इनके पिता 7 भाई हैं। इनके परिवार का मुख्य कार्य पूजा पाठ एवं कथा वाचक का ही रहा है। इनके पिता भी कथा वाचक थे एवं पूजा पाठ आदि के कार्यो में लगे रहते थे। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति इनके बाल्यकाल में बहुत कमजोर थी। धीरेन्द्र कृष्ण महाराज का बचपन भी बहुत
आभाव में गुजरा है।
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण महाराज का जन्म 4 जुलाई सन 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले गढ़ा गाँव में एक ममखोर ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनका बचपन इनके गाँव में ही व्यतीत हुआ है। बचपन इन्होने बहुत ही अभाव की स्थिति में गुजारा है। इनके बचपन मे ये सभी मूलभूत सुख सुविधाओं से वंचित रहे हैं। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज की आयु अभी केवल 26 वर्ष है।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के परिवार में इनके पिता राम कृपाल गर्ग एवं माता सरोज गर्ग के साथ इनका एक छोटा भाई तथा एक बहन हैं। इनके पिता भी आस पास के गांवों में कथा वाचक का ही कार्य करते थे एवं उसी से इनका और इनके परिवार का जीविका उपार्जन होता था। इनके दादाजी भी पूजा पाठ के कार्य में ही लगे हुए थे, इनके दादा भी कथा वाचक का कार्य करते थे। इनके दादा जी अपने गाँव के शिव मंदिर में प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार में दिव्य दरबार लगाया करते थे l
बागेश्वर धाम महाराज धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की प्रारंभिक शिक्षा इनके गाँव में ही हुई। उसके बाद इनकी मैट्रिक और इण्टर की शिक्षा पास के एक गाँव में पूरी हुई। मैट्रिक और इण्टर की पढाई के लिए इन्हे अपने गाँव से 5 – 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। इसके बाद इन्होने स्नातक की पढाई के लिए कॉलेज में दाखिला लिया। स्नातक की पढाई के बाद आगे की पढाई में इनका मन नहीं लगा और इन्होने पढाई छोड़कर परिवार को आर्थिक तंगी से बहार निकलने के उद्देश्य से कुछ कार्य शुरू करने का निश्चय किया और अपने दादा जी के साथ ही दरबार में जाना शुरू किया।
महाराज जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ है। इनके पिता भी पुजारी के रूप में ही काम करते थे। आसपास के गाँव में इनके पिता कथा सुनाने का काम करते थे। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री भी अपने पिता के साथ कथा वाचकका कार्य करने लगे थे। इनके दादा जी गाँव के मंदिर में ही दरबार लगाया करते थे और ऐसा बताते हैं की इनके दादा जी भी एक सिद्ध पुरुष थे। इनके दादा जी भी लोगो की समस्याओ का समाधान इसी तरह दरबार लगाकर करते थे। बताते हैं कि इन्होने अपने दादा जी से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की है और उन्हें ही ये अपना गुरु भी मानते हैं।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अभी तक अविवाहित हैं। विवाह को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वे अभी तक कुंवारे हैं अभी उनकी शादी नहीं हुई है लेकिन वो जल्दी ही गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करेंगे अर्थात धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी जल्दी ही शादी के बंधन में बंधेंगे। उन्हीने कहा कि विवाह का आदेश भी उनको उनके गुरु द्वारा ही दिया गया है इसलिए जल्दी ही वे विवाह करने वाले हैं।
सोशल मीडिया पर चल रही डिरेन्द्र शत्रि जी और जाया किशोरी के विवाह की अफवाहों के बारे में जब बागेश्वर धाम महाराज से पूछा गया तो उन्होंने इसका सीधा जवाब दिया और उन्होंने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है। जाया किशोरी जी के साथ विवाह की सभी बातें सिर्फ झूठी अफवाहें हैं इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है। जाया किशोरी जी उनके लिए बहन के बराबर हैं और उनके साथ विवाह जैसे बात उन्होंने कभी ख्याल में भी नहीं सोची है। इसलिए इस तरह की सभी बातें सिर्फ अफवाह है। जिसने भी इस तरह की बातों को सोशल मीडिया में फैलाया है वो सब गलत है।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के द्वारा अपने गाँव के ही शिव मंदिर में 2016 में गाँव के सहयोग से एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया एवं इसी दिन मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की और यहीं पर अपना दरबार लगाने लगे। महाराज जी यहाँ स्थापित हनुमान जी को बालाजी पुकारते हैं एवं इनको एक और नाम दिया है बागेश्वर धाम सरकार अर्थात बागेश्वर धाम में स्थापित बालाजी ही बागेश्वर धाम सरकार के नाम से पुकारे जाते हैं। महाराज जी अपने दरबार में बीच बीच में बागेश्वर धाम सरकार और सन्यासी बाबा का जयकारा भी लगवाते हैं।
सन्यासी बाबा, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज के ही पूर्वज अर्थात इनकी ही कई पीढ़ी पहले इनके पूर्वज थे जो एक सन्यासी होने के साथ ही सिद्ध पुरुष भी थे। सन्यासी बाबा ने समाधी ली थी और बागेश्वर धाम में मंदिर के अंदर पीछे की तरफ उनकी समाधी बानी हुई है। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, सन्यासी बाबा को अपना गुरु मानते हैं और दरबार लगते समय बागेश्वर धाम सर्कार के साथ ही सन्यासी बाबा की भी जयकार करते हैं।
वैसे तो इन्होने छोटी उम्र में ही अपने पिता के साथ आस पास के गांवों में जाकर कथा वाचक का काम करना शुरू कर दिया था। वर्ष 2009 में इन्होने अपना पहला कथा वाचन किया था। साथ ही ये अपने दादा जी भगवन दास गर्ग के साथ बागेश्वर धाम में दरबार भी लगाने लगे और उनके ही मार्गदर्शन में इन्होने अपना आध्यात्मिक जीवन शुरू किया। अपने दादा जी को ही ये अपना गुरु भी मानते हैं। फिर इन्होने गाँव गाँव जाकर कथा वाचन न करके बागेश्वर धाम में ही कथा पढ़नी शुरू कर दी।
इनके दादा जी के समाधी लेने के बाद बागेश्वर पीठाधीश्वर इनको ही बनाया गया। क्योंकि दादा जी के साथ उनके कार्य को इन्होने ही आगे बढ़ाया इसलिए परिवार में इनको ही दादा जी के स्थान पर पीठाधीश्वर बनाए के लिए सहमति बनी और इनको ही बागेश्वर पीठाधीश्वर बनाया गया।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी द्वारा महाराष्ट्र के नागपुर में शिविर लगाया था। इसी दौरान नागपुर की अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने इनके ऊपर पूजा पथ एवं भक्ति की आड़ में समाज के अंदर अंध विश्वास फ़ैलाने एवं बढ़ने का आरोप लगाया। अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के संस्थापक श्याम मानव ने बाबा को झूठ फ़ैलाने वाले एवं लोगो के साथ धोखा धड़ी करने का आरोप लगाया। श्याम मानव ने बाबा को सीधा चुनौती दे दी की मेरे द्वारा एक दूसरे कमरे में रखी गयी वस्तुओं को बता दें तो मैं ३० लाख रुपये इनाम में दे दूंगा। बाबा ने भी उनकी चुनौती को स्वीकार कर लिया और कहा की यहाँ आकर मुझसे जो पूछना चाहें पूछें।
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धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को हुआ।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गाँव में हुआ।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है।
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अभी अविवाहित हैं।
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