प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है। 1987 से भारत में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मानते आ रहे हैं। महान भारतीय भौतिकविद (Physicist) सी. वी. रमन (Sir C. V. Raman) द्वारा 1928 में की गयी रमन इफ़ेक्ट की खोज के उपलक्ष्य में भारत में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। भौतिकी के क्षेत्र में देश एवं सम्पूर्ण विश्व के लिए उनके योगदान एवं उनके द्वारा की गयी खोज के लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार (Nobel Price) भी दिया गया।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को ही मनाया जायेगा।
सर सी वी रमन का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन है। इनका जन्म 7 नवंबर 1888 को एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ। ये बचपन से ही बहुत अद्भुत प्रतिभा के धनि थे। अपनी उम्र के बाकि सभी बच्चों से अलग थे। अपनी विलक्षण प्रतिभाओं का प्रदर्शन करते हुए 11 वर्ष की उम्र में इन्होने सेंट अलॉयसियस के एंग्लो-इंडियन हाई स्कूल से माध्यमिक शिक्षा (10th) और 13 वर्ष की उम्र में उच्चतर माध्यमिक (12th) की शिक्षा पास कर ली। इसी क्रम में 16 वर्ष की आयु में इन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपनी स्नातक (Graduation) पूरी कर ली और परीक्षा में शीर्ष स्थान ससम्मान प्राप्त किया।
जब ये स्नातक के छात्र थे तभी 1906 में प्रकाश के विवर्तन (Diffraction Of Light) पर इनका पहला शोध पत्र प्रकाशित हुआ। इसके अगले ही वर्ष इन्होने अपनी परास्नातक (Post Graduate) अर्थात मास्टर्स डिग्री भी प्राप्त कर ली। 19 वर्ष की आयु में ही ये भारतीय वित्त सेवा (Indian Financial Services) कलकत्ता में सहायक महालेखाकार (Assistant Accountant General) के पद पर चयनित हुए। यहाँ रहते हुए ये इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (IACS) के संपर्क में आये और यहाँ से इन्होने भौतिकी में स्वतंत्र शोध करने की अनुमति प्राप्त कर ली।
सर चंद्रशेखर वेंकट रमन एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे जो प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते थे। उनके द्वारा विकसित स्पेक्ट्रोग्राफ (Spectrograph) का उपयोग करते हुए, उन्होंने और उनके छात्र के.एस. कृष्णन ने पाया कि जब प्रकाश एक पारदर्शी सामग्री से गुजरता है, तो विक्षेपित प्रकाश अपनी तरंग दैर्ध्य (Wave Length) और आवृत्ति (Frequency) को बदल देता है। यह घटना, प्रकाश के प्रकीर्णन का अब तक अज्ञात प्रकार, जिसे उन्होंने “संशोधित प्रकीर्णन” (Modified Scattering) कहा, बाद में रमन प्रभाव (Raman Effect) या रमन प्रकीर्णन (Raman Scattering) कहा गया। रमन को खोज के लिए 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला और वह विज्ञान की किसी भी शाखा में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय तथा एशियाई थे।
सर सी वी रमन द्वारा की गयी प्रकाश प्रकीर्णन (Light Scattering) या रमन इफ़ेक्ट (Raman Effect) की खोज के उपलक्ष्य में ही 1975 से ही 28 फरवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मानते हैं।
सर सी वी रमन द्वारा 1928 में रमन इफ़ेक्ट (Raman Effect) की खोज की गयी थी जिसके उनको 1930 में विज्ञान का भौतिकी (Physics) का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 (National Science Day 2023) के लिए “Global Science for Global Wellbeing” (“वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान”) थीम रखा गया है। राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने 10 जनवरी को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र (National Media Centre) में इसकी घोषणा की।
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Ans – प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञानं दिवस (National Science Day) मनाया जाता है। 1987 से भारत में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मानते आ रहे हैं।
Ans – सर सी वी रमन द्वारा की गयी प्रकाश प्रकीर्णन (Light Scattering) या रमन इफ़ेक्ट (Raman Effect) की खोज के उपलक्ष्य में ही 1975 से ही 28 फरवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मानते हैं।
सर सी वी रमन द्वारा 1928 में रमन इफ़ेक्ट (Raman Effect) की खोज की गयी थी जिसके उनको 1930 में विज्ञान का भौतिकी (Physics) का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था।
Ans – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 (National Science Day 2023) के लिए “Global Science for Global Wellbeing” (“वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान”) थीम रखा गया है। राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने 10 जनवरी को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र (National Media Centre) में इसकी घोषणा की।
Ans – हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को ही मनाया जायेगा।
Ans – रमन प्रभाव (Raman Effect), एक स्पेक्ट्रोस्कोपिक घटना, की खोज एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी ने कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस लेबोरेटरी में शोध करते समय की थी।
यह प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन को संदर्भित करता है क्योंकि यह अणुओं के साथ संपर्क करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रकाश किरण का विक्षेपण होता है।
एक रासायनिक यौगिक के स्पष्ट, कण-मुक्त नमूने में, प्रकाश का एक छोटा हिस्सा आने वाली किरण की दिशा से विचलित होता है और अन्य दिशाओं में उभरता है। यद्यपि अधिकांश बिखरे हुए प्रकाश अपनी मूल तरंगदैर्घ्य को बनाए रखते हैं, इसके एक अंश में भिन्न तरंगदैर्घ्य होते हैं, जिसका श्रेय रमन प्रभाव को दिया जाता है।
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